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Monday, 18 June 2018

टकराने के लिए पत्थर ढूंढता है



हथेली पर रखकर नसीब
तू क्यों अपना मुकद्दर ढूंढता है।

सीख उस समंदर से
जो टकराने के लिए पत्थर ढूंढता है।।


हथेली पर रखकर नसीब तू क्यों अपना मुकद्दर ढूंढता है।  सीख उस समंदर से जो टकराने के लिए पत्थर ढूंढता है।।

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