टकराने के लिए पत्थर ढूंढता है Smile Re Monday, June 18, 2018 हथेली पर रखकर नसीब तू क्यों अपना मुकद्दर ढूंढता है। सीख उस समंदर से जो टकराने के लिए पत्थर ढूंढता है।। Continue Reading
साथ निभा जाएंगे Smile Re Monday, June 18, 2018 खुबियाँ इतनी तो नही हम में, की किसी के दिल में हम घर बना पाएंगे । पर भुलाना भी आसान ना होगा हमे, साथ कुछ ऐसा निभा जाएंगे ।। Continue Reading
माँ Smile Re Monday, June 18, 2018 माँ ने आखरी रोटी भी थाली में परोस दी । जाने क्यों फिर भी मंदिर में भगवान ढूंढता हूं मैं।। Continue Reading
गद्दारी नही आती Smile Re Monday, June 18, 2018 शायद मैं इसलिए पीछे हूं, मुझे होशियारी नही आती बेशक लोग ना समझें मेरी वफादारी, मगर मुझे गद्दारी नहीं आती ।। Continue Reading
वही जिंदगी Smile Re Monday, June 18, 2018 नींद तो ठीक ठाक आई पर जैसे ही आँख खुली , फिर वही जिंदगी और फिर वही पगली याद आई ।। Continue Reading
પ્રેમના પંથે Smile Re Monday, June 18, 2018 કારણ વગર અમથું થોડું મળાય છે.. મળ્યા વિના અળગા થોડું રહેવાય છે.. સોંપી દીધી તને જાત પણ, કોઈ સ્વાર્થ વિના.., પ્રેમના પંથે ચાલ્યા પછી પાછું થ... Continue Reading
नसीब Smile Re Monday, June 18, 2018 हथेली पर रखकर नसीब, तू क्यों अपना मुकद्दर ढूंढता है । सीख उस समंदर से, जो टकराने के लिए पत्थर ढूंढता है।। Continue Reading
उम्मीद Smile Re Tuesday, June 12, 2018 किसी एक जगह बहुत ही खूबसूरत शब्द लिखे थे । दुनिया में छोड़ने जैसा कुछ है तो.. दूसरो से उम्मीद करना छोड़ दो ।। Continue Reading
याद Smile Re Tuesday, June 12, 2018 पूछा किसीने की याद आती है उसकी..? मैं मुस्कुराया और बोला तभी तो जिंदा हूं।। Continue Reading